Wednesday, 19 July 2017

भारत और चीन की जारी तल्खी में किसका फायदा

भारत, भूटान और चीन को जोड़ने वाले त्रिकोणीय स्थल डोकलाम में भारतीय सैनिकों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच बीते एक महीने से गतिरोध जारी है। भारत और चीन के बीच बरकार इस तल्खी ने यदि कोई भीषण रूप धारण नहीं किया है तो इसका श्रेय भारत के संयम व धैर्य को जाता है। चीन के विपरीत, भारत की ओर से असंगत बयानबाजी पर नियंत्रण रखा जाना प्रशंसनीय है। इन परिस्थतियों की गंभीरता को समझने और संयम बनाए रखने के लिए, सभी विपक्षी दलों को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव द्वारा घटना की पूर्ण जानकारी देना भी सहायक रहा है।

इसके विपरीत, चीनी पक्ष बेतुकी बयानबाजी और राष्ट्रवादी भवना दोनों को उच्च स्तर पर बनाए रखते हुए, अपना आपा खोए हुए है। चीन की ओर से भारत को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चेतावनी दी गई हैं।

चीनी मीडिया द्वारा भारत को 1962 के युद्ध का स्मरण कराना और कथित तौर पर घटना स्थल के पास सैन्य  अभ्यासों की सीसीटीवी वीडियो का प्रसारण, स्पष्ट रूप से भारत को भयभीत करने के चीनी पैतरे हैं। भारत के धैर्य को बेशक इसकी अतिसंवेदनशीलता का संकेत माना जा सकता है, लेकिन तर्कसंगत रूप से, चीन को भी इस तल्खी को बढ़ाकर कुछ खास हासिल नहीं होगा। भारत और चीन दोनों को ही द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से इस संकट को हल करने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।